Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत करने से होती है संतान की प्राप्ति, मिलती है ग्रह दोषों से मुक्ति

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) को सनातन धर्म में अति विशिष्ट स्थान प्राप्त है और इसे अति उत्तम भी माना गया है। प्रत्येक मास के दोनों पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ही प्रदोष की तिथि कहते हैं। यह तिथि भगवान नीलकंठ शिव शंकर (God shiv) को समर्पित है। जब कभी भी बुधवार के दिन त्रयोदशी की तिथि आती है तो उसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। धार्मिक मान्यताएं है कि यह व्रत संतान सुख के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए जो लोग संतान सुख से चाहते हैं उन्हें बुध प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। प्रदोष व्रत की पूजा संध्या काल में करने का विधान है इसलिए इस समय ही भोलेनाथ शिव और मां पार्वती की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram) का पाठ करना लाभकारी होता है।

ग्रह दोषों से भी मिलती है मुक्ति

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार, जो व्यक्ति बुध प्रदोष का व्रत रखता है उसके जीवन से सारे कष्ट मिट जाते हैं। घर-परिवार में सुख-शांति और वैभव का वास रहता है। इसके अलावा ग्रह दोषों से भी मुक्ति पाने के लिए यह व्रत रखना अत्यंत लाभकारी है।

शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि बुधवार 19 जून को सुबह 7 बजकर 28 मिनट से शुरू होगी और गुरुवार 20 जून को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा। ज्योतिष विद्वानों के मतानुसार, सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय पूजा के लिए अति-उत्तम माना जाता है।

Lal Kitab: लक्ष्मी हैं आपसे नाराज तो करें लाल किताब के ये उपाय, जल्द होंगी मेहरबान

बन रहे हैं ये योग

19 जून बुधवार को प्रदोष व्रत के चलते कई शुभ संयोग बन रहे हैं जिनमें सिद्ध योग, साध्य योग, सर्वार्थसिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग और अमृत सिद्धि योग भी शामिल हैं।

सिद्ध – जून 18 09:38 PM – जून 19 09:11 PM

साध्य – जून 19 09:11 PM – जून 20 08:12 PM

त्रिपुष्कर योग – जून 18 03:56 PM – जून 19 05:27 AM

अमृतसिद्धि योग – जून 19 05:23 PM – जून 20 05:28 AM

सर्वार्थसिद्धि योग – जून 19 05:23 PM – जून 20 06:10 PM

व्रत के नियम

व्रत के दिन चावल और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

तामसिक भोजन व्रत के दिन वर्जित है।

व्रत में अपशब्दों/कटु वचन बिलकुल ना बोलें।

पूजा में सिंदूर, हल्दी, तुलसी और केतकी के फूलों का उपयोग नहीं करना।

Shiva Chalisa: शिव चालीसा

महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ

इस मंत्र का पाठ करने से भोलेनाथ हमेशा प्रसन्न रहते हैं और व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है।

महामृत्युंजय मंत्र के जप से व्याधियों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

इस मंत्र के जप के प्रभाव से साधक को अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।

जिस भी व्यक्ति को धन-संपति की इच्छा हो उसे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए।

 

Related Posts

Karwa Chauth 2024: 21 नहीं 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा करवा चौथ, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

सनातन धर्म में विवाहित महिलाएं अक्सर पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इसी कड़ी में महिलाएं पंचांग के अनुसार प्रति वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थीऔर पढ़ें

Read more

October Month Vrat-Festival: नवरात्रि लेकर दीपावली तक, जानिए अक्टूबर में किस दिन पड़ेंगे कौन से व्रत और त्योहार

अंग्रेजी कैलेंडर के 10वें महीने अक्टूबर की शुरुआत हो चुकी है और सनातन धर्म को मानने वालों के लिए ये काफी महत्वपूर्ण महीना है। सनातन धर्म के लिहाज से देखेंऔर पढ़ें

Read more

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Jitiya 2024: कब है जितिया का पारण? 100 साल बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा महायोग, ये राशियां होंगी मालामाल सोमवती अमावस्या की रात जरूर करें ये एक काम सपने में देखी गई इन कुछ खास चीजों का मतलब घर में है तुलसी का पौधा तो भूलकर भी ना करें ये दो काम