
आज से माघ गुप्त नवरात्रि की शुरूआत हो रही है जिसमें मां आदि शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होगी है। इसे शिशिर नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि यह जनवरी-फरवरी के महीनों में आती है। यह नवरात्रि साधकों, तांत्रिकों और भौतिक समस्याओं को हल करने की इच्छा रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। ‘गुप्त’ शब्द का अर्थ है ‘गोपनीय’ इसलिए माघ गुप्त नवरात्रि कम लोगों को ज्ञात है जबकि ‘चैत्र’ और ‘क्वार’ महीने में मनाई जाने वाली अन्य प्रमुख नवरात्रियां अधिक प्रसिद्ध हैं।
यह माघ गुप्त नवरात्रि प्रमुख तौर पर भारत के उत्तरी राज्यों जैसे हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है। इस नवरात्रि में मां दुर्गा के मंत्रों का 108 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। वहीं, दुर्गा स्तोत्र का पाठ करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Durga Ashtottara Shatanama Stotram: श्री दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र
दस महाविद्या की होती है आराधना
- मां कालिके
- मां तारा देवी
- मां छिन्नमस्ता
- मां शोड़शी
- मां भुवनेश्वरी
- मां त्रिपुर भैरवी
- मां धूमावती
- मां बगलामुखी
- मां मातंगी
- मां कमला
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ प्रतिपदा तिथि 29 जनवरी बुधवार को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और 30 जनवरी दिन गुरुवार को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर समाप्त हो रही है। घटस्थापना का मुहूर्त प्रात: काल 9 बजकर 25 मिनट से सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। वहीं, कलश स्थापना का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक होने वाला है। इस वर्ष घटस्थापना मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीन लग्न के दौरान है।
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पूजा विधि
स्थान की पवित्रता: पूजा स्थल को ठीक तरह से साफ करें और उसे गंगाजल से पवित्र करें।
घटस्थापना: मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके ऊपर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश पर स्वस्तिक भी बनाएं।
कलश सज्जा: कलश के मुख पर आम के पत्ते लगाएं और नारियल रखें। नारियल पर लाल कपड़ा या कलावा अवश्य बांधें।
मां दुर्गा की स्थापना: देवी दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर को प्रतिष्ठित करें। प्रतिमा/फोटो के सामने घी का दीपक जलाएं।
संकल्प: पूजा का संकल्प लें और अपने इष्ट देवी-देवताओं का ध्यान करें।
पंचोपचार पूजा: देवी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद व शक्कर) से स्नान कराएं और वस्त्र, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप अर्पित करें।
नैवेद्य अर्पण: देवी को फल, मिठाई, नारियल, पान, सुपारी और लौंग अर्पित करें।
आरती: पूजा के अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।