Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा 2024 में 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें संसार के पहले वास्तुकार और देवताओं के शिल्पकार माना जाता है, की पूजा की जाती है। हर साल विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को ही मनाई जाती है, लेकिन इस बार कन्या संक्रांति के कारण विश्वकर्मा पूजा की तारीख को लेकर दुविधा बनी हुई है।
कन्या संक्रांति को होती है विश्वकर्मा पूजा
मान्यताओं के मुताबिक कन्या संक्रांति के दिन ही विश्वकर्मा पूजा की जाती है और इस साल कन्या संक्रांति 16 सितंबर की शाम से 7.53 मिनट से शुरू हो रही है और 17 सितंबर तक रहेगी। चूंकि 17 सितंबर का सूर्योदय संक्रांति में ही हो रहा है, ऐसे में उदयातिथि के नियम को मानते हुए 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा पूजा होगी।
विश्वकर्मा पूजा पर भद्रा का योग और पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल विश्वकर्मा पूजा के दिन भद्रा का भी साया है और इस बार भद्रा का वास धरती पर हो रहा है जिसे अशुभ माना गया है। 17 सितंबर को भद्रा काल की शुरुआत सुबह 11: 44 बजे से हो रही है। ऐसे में आपको विश्वकर्मा पूजा 11:44 से पहले ही कर लेनी चाहिए।कर सकते हैं।
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विश्वकर्मा पूजा विधि
सूर्योदय से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। विश्वकर्मा पूजा के लिए धूप, दीप, पुष्प, अक्षत (चावल), रोली, मौली, मिठाई, नारियल, पान, सुपारी, इलायची, फल, आदि की आवश्यकता होती है। इसके अलावा पूजा के स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
विश्वकर्मा भगवान की स्थापना
भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र को साफ जगह पर रखें। उनके आस-पास मशीनों, औजारों, और अन्य कार्य उपकरणों को भी सजाएं। भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करते हुए उन्हें पंचोपचार या षोडशोपचार से पूजा करें। धूप, दीप, पुष्प, और फल चढ़ाएं और अंत में आरती करके सभी के बीच प्रसाद का वितरण करें।
पौराणिक कथा
विश्वकर्मा भगवान को संसार का सबसे पहला वास्तुकार और देवताओं का शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने स्वर्ग, द्वारिका नगरी, लंका, पुष्पक विमान और देवताओं के अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था। उन्होंने देवताओं के निवास स्थलों और उनके साधनों का निर्माण किया और उनके कारण ही विश्वकर्मा की पूजा निर्माण और तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत लोग करते हैं।
इस दिन लोग अपने कार्यस्थल, फैक्ट्री, मशीनरी, और औजारों की पूजा करते हैं ताकि उन्हें भगवान विश्वकर्मा की कृपा प्राप्त हो।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर डॉट कॉम उत्तरदायी नहीं है।