यदि सूर्य के कारण कष्ट है, तो शिवलिंग की आक के पुष्पों, पत्तों एवं बेल पत्रों से पूजा करें।

यदि जन्मपत्री के अनुसार मंगल के कारण कष्ट है, जैसे रक्त विकार तो गिलोय के रस से अभिषेक करें।

यदि बुध संबंधित चर्म रोग है या गुर्दे की बीमारी हो तो बिदारा जड़ी-बूटी के रस से अभिषेक करें।

यदि बृहस्पति संबंधित रोग, चर्बी, आंतों या लीवर आदि की बीमारी है, तो शिवलिंग पर हल्दी मिश्रित दूध चढ़ाएं। 

शुक्र से संबंधित रोग (वीर्य, मल-मूत्र, शारीरिक शक्ति की बीमारी) है तो पंचामृत, शहद, घृत से अभिषेक करें।

शनि से संबंधित रोग (मांसपेशियों का दर्द, जोड़ों का दर्द, वायु रोग लाइलाज बीमारी) हो तो गन्ने का रस और छाछ से अभिषेक करें

राहु-केतु (सिर चकराना, मानसिक परेशानी, अधरंग) आदि के लिए सभी वस्तुओं के साथ मृतसंजीवनी का पाठ सवा लाख जप करवाएं, भांग धतूरे से शिवलिंग का अभिषेक करें।