छींक का आना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। इंसान हो या जानवर छींक सभी को आती है।

भारतीय ज्योतिष में छींक के कई मायने और मतलब है जिनके बार में बहुत ही कम लोग जानते हैं

छींक प्रायः सभी दिशाओं की खराब होती है। अपनी छींक तो महा-अशुभ है।

गौ की छींक मरण करती है। बायीं ओर छींक हो तो दोषकारक नहीं है। 

लोकोक्ति है कि 'एक नाक दो छींक, काम बने सब ठीक'।

कन्या, विधवा, मालिन, धोबिन, वेश्या, रजस्वला स्त्री की छींक विशेष अशुभ होती है।

आसन, शयन, शौच, दान, भोजन, औषधि सेवन, विद्यारम्भ और बीज बोने के समय 

युद्ध या विवाह, सर्दी से होने वाली छींक, बच्चे और बूढ़े की छींक तथा हठ से छींकना विफल होता है।  

कोशिश करने पर भी यदि छींक न रुके तो मनुष्य जिस काम के लिए जा रहा हो उसमें विघ्न अवश्य होगा।